राज्य में दूसरा मरीज पाए जाने से पहले तक दुनिया में इस सिंड्रोम के केवल 96 रोगी ही रिपोर्ट किए गए थे, जिनमें से 25 भारत में थे।हिमाचल प्रदेश में दुर्लभ रॉवेल सिंड्रोम का एक और मरीज पाया गया है। कुछ वर्ष पहले इसका पहला मरीज बिलासपुर में पाया गया था। राज्य में दूसरा मरीज पाए जाने से पहले तक दुनिया में इस सिंड्रोम के केवल 96 रोगी ही रिपोर्ट किए गए थे, जिनमें से 25 भारत में थे। यह जानकारी कर्नाटक के दावणगेरे में हुए एक राष्ट्रीय सम्मेलन में राजकीय दंत महाविद्यालय शिमला की एक छात्रा डॉ. दीक्षा शर्मा ने साझा की है।
इस पर प्रस्तुति के लिए डॉ. दीक्षा को सम्मानित किया गया है। डॉ. दीक्षा ने एक शोध पत्र ओरल मेडिसिन एवं रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गुरु प्रसाद की निगरानी में तैयार किया है। राजकीय दंत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आशु गुप्ता ने इस सिंड्रोम के मरीज की पुष्टि की है। इस रोग में मुंह में छाले फटते हैं, जो पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाते हैं। इससे मरीज ठीक से खाना नहीं खा पाता और उसे मुंह में दर्द होता है। इस रोग का पूरी तरह से इलाज भी संभव नहीं है। यह सिंड्रोम राजधानी शिमला में ही रहने वाली एक 19 वर्षीय युवती में पाया गया है। वह उपचार के लिए राजकीय दंत महाविद्यालय शिमला आई थी। यहां चिकित्सकों ने इस सिंड्रोम का पता लगा लिया।
इस सिंड्रोम को महाविद्यालय के ओरल मेडिसिन एवं रेडियोलॉजी विभाग ने खोजा है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके लक्षणों को कुछ समय तक ही नियंत्रित किया जा सकता है। इस मरीज का ट्रॉपिकल क्रीम, दर्द निवारक दवा और स्टेरॉयड्स से उपचार किया गया। मरीज में एक हफ्ते के भीतर ही सुधार देखा गया। उसके मुंह के छाले भी धीरे-धीरे ठीक होने लगे। मरीज को आईजीएमसी शिमला के चर्म रोग विभाग में भी आगामी उपचार के लिए भेजा गया। शुरुआत में ऊपर और नीचे के होंठ लाल हो गए। जाेड़ों, आंखों में दर्द, बाल बनाते समय तकलीफ जैसी समस्याएं भी होने लगीं।