मंडी, 18 जुलाई। उपायुक्त अपूर्व देवगन की अध्यक्षता में वीरवार को मंडी जिले में केन्द्रीय प्रायोजित 10000 एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाईजेशन) के गठन एवं संवर्धन योजना की प्रगति की समीक्षा हेतु जिला स्तरीय निगरानी समिति (डी-एमसी) की बैठक का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर उपायुक्त ने बताया कि बैठक का उद्देश्य जिले में योजना के अंतर्गत गठित किसान उत्पादक संगठनों के विकास और कामकाज की प्रगति की बारीकी से निगरानी और समीक्षा करना है। बताया कि योजना के अंतर्गत कार्यान्वयन एजेंसियों जैसे नाबार्ड, एनसीडीसी, एसएफएसी एवं नेफेड ने क्लस्टर आधारित व्यवसाय संगठन (सीबीबीओ) के माध्यम से 18 एफपीओ का गठन किया गया है जो कंपनी अधिनियम एवं सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत किए गए हैं ।
एफपीओ की प्रगति की समीक्षा करते हुए उन्होंने सभी एफपीओ को बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण हेतु निर्देश दिये। उन्होंने सुझाव दिया कि जिले में विदेशी सब्जियों की पर्याप्त गुंजाइश है, जिसका इन एफपीओ द्वारा दोहन किया जा सकता है। उन्होंने निर्देश दिया कि सीबीबीओ द्वारा संवर्धित किसान उत्पादक संगठनों को आवश्यक लाइसेंस लेने के लिए सहयोग करें और किसानों को उनके उत्पादों की बेहतर कीमत और दूसरी सेवाएँ प्रदान करने में मदद करें।
बैठक में डीडीएम, नाबार्ड, राकेश वर्मा ने बताया कि जिले में 14 ब्लॉक हैं, जहां 18 एफपीओ का गठन किया गया तथा 3500 से अधिक किसान इन एफपीओ के सदस्य हैं और विभिन्न सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि एफपीओ की प्रमुख गतिविधियां सब्जियों और सेब का एकत्रीकरण एवं विक्रय, खाद्य प्रसंस्करण आदि शामिल हैं। किसान उत्पादक संगठनों के सदस्यों को एफपीओ के माध्यम से उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिल रहा है। कई एफपीओ के पास खाद, बीज, एफएसएसएआई, मंडी लाइसेंस आदि हैं और किसान एफपीओ के माध्यम से इन सेवाओं के द्वारा लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
एलडीएम संजय कुमार ने बैंकों के साथ पात्र एफपीओ के क्रेडिट लिंकेज के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।
बैठक में पशु पालन, कृषि तथा बागवानी विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।