हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से शिक्षा क्षेत्र में नॉन रेकरिंग ग्रांट बढ़ाने की मांग की है। मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित बैठक में शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने पहाड़ी क्षेत्र होने के चलते प्रदेश में निर्माण कार्य महंगा होने का हवाला देते हुए इस ग्रांट को बढ़ाने का पक्ष रखा। नॉन रेकरिंग ग्रांट एक बार का या अनियमित व्यय है और भविष्य में इसका भुगतान करने की अपेक्षा नहीं की जाती है। शिक्षा सचिव ने कहा कि आईसीटी लैब हो या फिर भवन का निर्माण, इसमें काफी खर्चे का काम होता है। इसके लिए जो बजट दिया जाता है, वह कम पड़ जाता है। ऐसे में इसमें बढ़ोतरी होनी चाहिए।
केंद्र सरकार की शिक्षा क्षेत्र में प्रायोजित योजनाओं की नई दिल्ली में दो दिवसीय समीक्षा के पहले दिन मंगलवार को आईसीटी लैब, यू-डाइस, बेस्ट प्रेक्टिसिज और डाइट केंद्रों को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। प्रदेश के अधिकारियों ने कहा कि आईसीटी लैब बनाने का काम चल रहा है। कई स्कूलों में यह लैब बन चुकी है। कहीं पर जमीन की कमी थी तो कई स्थानों पर कुछ और कारणों के चलते देरी हुई थी, लेकिन अब इनका समाधान कर दिया गया है। आईसीटी लैब बनाने के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। प्रदेश के हर स्कूल में जल्द ही आईसीटी लैब स्थापित कर दी जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि डाइट केंद्रों को भी अपग्रेड किया जा रहा है। राजधानी शिमला के समीप घणाहट्टी स्थित डाइट सेंटर को अपग्रेड किया जा रहा है। इस पर करीब 9 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में डाइट केंद्रों को अपग्रेड किया जा रहा है। 2023-24 के वित्तीय वर्ष में समग्र शिक्षा अभियान और स्टार प्रोजेक्ट के तहत जारी बजट को खर्च कर दिया गया है। प्रदेश ने बीआरसीसी, सीआरसी सहित अन्य शिक्षक जो प्रोजेक्ट का कार्य देखते हैं, उनके वेतन अदायगी के लिए अतिरिक्त बजट जारी करने का मामला भी बैठक में उठाया। समीक्षा बैठक के दूसरे दिन बुधवार को मिड डे मील, नव भारत साक्षरता अभियान सहित अन्य कई योजनाओं को लेकर चर्चा होगी। बैठक में समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा सहित कई अन्य अधिकारी शामिल हुए।