न मलबा हटा, न नदियों का हुआ तटीकरण, खतरा अभी भी बरकरार

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8 से 11 जुलाई 2023 में आई आपदा को एक साल भी कोई नहीं भूला है। आपदा के जख्म जिले के कई इलाकों में देखे जा सकते हैं। ब्यास, पार्वती और पिन पार्वती नदी में आई बाढ़ के बाद भले ही जनजीवन पटरी पर लौट आया है, लेकिन खतरा अभी भी सैंज, भुंतर और मनाली तक बरकरार है। कुल्लू-मनाली हाईवे तीन के साथ भुंतर से मणिकर्ण मार्गपर बाढ़ का खतरा बना हुआ है। बाढ़ से जिला में जहां-जहां तबाही मचाई थी, वहां बचाव के लिए कोई भी इंतजाम नहीं किए गए हैं। बाढ़ नियंत्रण के लिए कुछ ही जगहों पर मात्र क्रेटवाॅल लगाए गए हैं। ऐसे में इस साल की बरसात में फिर नदियों का जलस्तर बढ़ने से भारी तबाही मच सकती है। 

सरकार के आदेश पर ब्यास, पिन पार्वती और पार्वती नदी में जिला प्रशासन ने ड्रेजिंग का काम किया मगर 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो पाया। जिला में 44 जगहों से तीनों नदियों का आपदा के दौरान रुख मुड़ने से उन्हें फिर से पुराने स्वरूप में लाना था। प्रशासन ने करीब 25 से 30 जगहों पर ड्रेजिंग का काम किया शुरू किया था, मगर नदियों का जलस्तर बढ़ने से काम रोकना पड़ा। ऐसे में कई संवेदनशील जगहों से मलबा और पत्थरों को नहीं हटाया गया और बाढ़ का खतरा जस का तस बना है। सरकार और प्रशासन ने बड़े- बड़े दावे किए थे, लेकिन धरातल पर तैयारी अब भी नाकाफी है। बाढ़ के कारण मलबे से भरी कुल्लू जिले की ब्यास, पार्वती, पिन पार्वती और तीर्थन नदी से आने वाली बरसात में बाढ़ का खतरा टला नहीं है। नदी किनारे लगे मलबे के ढेर आने वाली बरसात में आफत बनकर तबाही मचा सकते हैं।  

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