हिमाचल प्रदेश के उपमंडल रामपुर की दुर्गम पंचायत सरपारा के आपदा प्रभावित कांधार और रामपुर नप के कल्याणपुर वार्ड में रहने वाले लोग आठ महीने बाद भी खतरे के साये में जीने को मजबूर हैं। अब बरसात का मौसम आने वाला है और बीते वर्ष के नुकसान की भरपाई नहीं हो पाई है। कांधार के बाढ़ प्रभावितों ने सरकार से सुरक्षित जगह तलाश कर दूसरी जगह में बसाने की मांग की थी, लेकिन अभी तक यह मांग सिरे नहीं चढ़ पाई है। कांधार गांव में बाढ़ के बाद पड़ीं दरारों से ग्रामीणों के ऊपर खतरा मंडरा रहा है।
गौरतलब है कि बीते वर्ष 25 जुलाई को कांधार गांव में बादल फटने से कई परिवारों के घर और पशु बाढ़ में बह गए थे। बाढ़ में लोगों के बगीचे, जमीन और रास्ते भी बह गए थे। दर्जनों परिवारों के घर क्षतिग्रस्त होने से गिरने के कगार पर हैं। कांधार गांव में बादल फटने से आई बाढ़ में बहे छह परिवारों को राहत के रूप में सात-सात लाख की राशि तो बांटी, लेकिन मकान मालिकों को प्रदेश सरकार ने कोई राहत राशि नहीं दी। सरकार ने बाढ़ से क्षतिग्रस्त रास्तों की भी अब तक सुध नहीं ली और ग्रामीण टूटे रास्तों पर खतरे के साये में चलने को मजबूर हैं।
बेघर हुए कांधार निवासी सुरेंद्र, रमेश, नरेंद्र लाल, मोहन भांडिया, सुभाष और गोपाल ने बताया कि उन्हें नया घर बनाने के लिए सरकार ने कुछ राहत दी, लेकिन मकान बनाने के लिए सरकारी रेट पर सीमेंट उपलब्ध नहीं कराया गया है। सरकार ने लोगों को सुरक्षित जगह बसाने की बात कही थी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। अब दोबारा बरसात आने वाली है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से उचित कार्य नहीं हो पाए हैं। गांव में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी हैं। बरसात में यदि दरकी हुई पहाड़ी गिरीआतो सारा गांव तबाह हो सकता है। सरपारा पंचायत के प्रधान मोहन कपाटिया ने बताया कि गांव को दूसरी जगह बसाने की योजना तो थी, लेकिन वह अभी पूर्ण नहीं हो पाई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 70 परिवारों को मकान बनाने के लिए डेढ़-डेढ़ लाख की राशि स्वीकृत हुई है। संवाद